इरादे बुलंद रखो

इरादे बुलंद रखो

inspirational

सफलतम व्यक्तिओं एवम सफलता के लिए कार्यरत युवको की पहचान एक ही है, के वे संकीर्ण क्षेत्र में सिमित नहीं रहते । घर परिवार और थोडासा धन ही सबकुछ है ऐसा वे नही मानते, इसके अलावा भी वहुत से कार्य एवं कर्तव्यों के साथ ही अपने देश, धर्म, संस्कृती एवं समाज की जिम्मेदारीयाँ भी वे बखुबी समझते है और उनकी सामजिक आवश्यकताएं पूरी करने के लिए वे बहुत कुछ करते है, इसी धारणा के साथ मैश्रीमती निलीमा पी. हारोडे सद्यस्थित्तीगत युवाओ की सोच, मानसिक स्थिती, मनोव्यवस्था के बारे ने अपने विचार प्रकट करती हूँ।

युवाओं की मानसिक स्थिती के बारे में हम जब भी सोचेंगे तब सर्वप्रथम यह सोचना लाजिमी है कि ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग सफ़ल होने पर खुश होते है और असफ़ल होने पर माँयुस! मायुस भी इस कदर जैसे अब कमी उभर ही न पाएँगे।

अब इस तर्ज पर देखे तो युवकों की मानसिक स्थिती बुरी है, गर केई युवक या शख्स असफलताओं से मायुस न होकर फिर विश्वासपूर्वक कार्य में जुटता है तो उसकी मानसिक स्थिती दृढ है या अच्छी है ऐसा कहा जाएगा।

यानी इसका स्पष्ट अर्थ है कि आपकी मानसिक स्थिती आपके नजरिए पर स्थिर करती है, नजरिया नकारात्मक है तो मानसिक स्थिती बुरी, सकारात्मक है तो अच्छी और मध्यम मार्ग यानी बीच वाला रास्ता अपनाएँ तो समाधानकारक !

सर्दी-गर्मी, कष्ट-सुविधा, प्रिय-अप्रिय, अनुकुल-प्रतिकूल, इन सभी परिस्थितियों मे विचलित हुए बगैर अविराम कर्म करते रहे तो समझना चाहिए की जीवन सार्थक हुआ है, हो रहा है। संसार में ऐसी कोई वस्तु नही है जिसे मनुष्य अपने जीवन में प्राप्त नही कर सकता और न ही विश्व में ऐसा कोई मनुष्य है जिसके पास भाग्योदय का
एक भी अवसर न आया हो।

भाग्यवादी नजरिया अपनाना अपने आपको खत्म करना है ऐसे लोग खुद को किस्मत के भरोसे छोड देते है और असफलताओं पर खुद को बदकिस्मत मान लेते है।

आजके इस स्पर्धात्मक युग में जरूरी है कि युवाओं की सोच सकारात्मक हो और इसके लिए निहायत जरूरी है कुछ ठोस कदम उठाना, जैसे – युवाओं को चाहिए कि वे अपने समक्ष ऐसे आदर्श रखें जिले सफलता पाने के लिए अनेक असफलताओं से जूझना पडा, उन्हें चाहिए कि वे अनुशासनपुर्ण जीवन बिताए, असफलता के डर से किसी भी कार्य का आगाज ही न करने की गलत धारणा छोडे, दृढ़ विश्वास के साथ जागे बढे और ये जाने कि आज नहीं तो कल जीतता वही है जिसे यकिन है कि तो जितेगा ।

आजकल युवाओ को सही मार्गदर्शन, सही दिशा, निर्देशन व उनके उत्थान के लिए कई सारी सामाजिक संस्थाएं कार्यरत है जो उन्हें हरसम्भव मदद करने का दावा करती है, साथ ही ऐसी भी संस्थाएं कार्यरत है जो युवाओं को
बहुआयामी व्यक्तित्व का मालिक बनाने का बीडा उठाती है, बहुत अच्छी बात है, इसमे बहुत हद तक संस्थाएं सफल भी होती होगी, पर मेरे नजरिए से ऐसी संस्थाएं आजके युवाओं को इन सब बातों के साथ ही साथ गर ऐसी हस्तियों से रु-बा-रु करवाएं जो सफल तो बहुत है पर बहुत ही सारी अडचनों एवं रूकावटों का दरिया पार
करने के बाद उन्होंने सफलता का स्वाद चखा है,मनोबल मे किसी भी तरह की गिरावट के बगैर, तो आजके युवाओं के लिए वह संजिवनी की मानिन्द कार्य करेंगा।

आँगन भर धुप और मुट्ठी भर आसमान मेरी मंजिल कतई नहीं है, किसी भी युवा की नही होनी चाहीए।

मैं अब अपनी लेखनी को विराम देती हूँ, इसी उम्मीद के साथ कि आप लोगो को मेरे विचार विचारणीय लगे हो !