जब हमारे पास सीमित पैसे होते हैं, तो हम हर चीज़ की कद्र करते हैं। 10 रुपये की पानीपुरी खाते समय आखिरी बूंद तक पानी पी जाते हैं, और 5 रुपये की आइसक्रीम के ढक्कन को भी चाटते हैं। फिर किसी के विवाह में जब स्वादिष्ट भोजन मुफ्त में परोसा जाता है, तो हम अन्न क्यों छोड़ते हैं?
एक पिता अपनी जिंदगी भर की कमाई खर्च करता है ताकि वह अपने बच्चे के विवाह में आये मेहमानों का सम्मान अच्छे भोजन से कर सके। वह यह सोचता है कि अतिथि भोजन का आनंद लेंगे और आशीर्वाद देंगे। लेकिन जब हम अपनी प्लेट में खाना छोड़ते हैं, तो न केवल अन्न का अपमान करते हैं, बल्कि उस पिता की मेहनत और भावनाओं को भी ठेस पहुँचाते हैं।
भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं है, यह संस्कृति, परंपरा और सम्मान का प्रतीक भी है। अन्न की बर्बादी से बचने के लिए:
हम अक्सर भूल जाते हैं कि दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें एक समय का खाना भी नसीब नहीं होता। ऐसे में जब आपके सामने स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाएं, तो उसका सम्मान करें। खाने को प्लेट में छोड़ना आपकी परवरिश और सोच का आईना होता है। अन्न का सम्मान करना न केवल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह उन लाखों मेहनतकश किसानों और रसोइयों के प्रति भी सम्मान है जिन्होंने खेत से आपकी थाली तक उस अन्न को पहुँचाया।
ध्यान रखें कि विवाह जैसे अवसर सिर्फ समारोह नहीं होते, बल्कि यह रिश्तों को मजबूत करने का एक जरिया भी होते हैं। जब आप भोजन का सम्मान करते हैं, तो आप मेजबान के प्रति भी सम्मान दर्शाते हैं। यह छोटी सी आदत आपके व्यक्तित्व को और निखारती है और समाज में आपकी अच्छी छवि बनाती है।
अगली बार जब आप किसी विवाह में जाएं, तो भोजन का आदर करें, जितना लें उतना खाएं, और अपने व्यवहार से एक अच्छा उदाहरण पेश करें। अन्न का सम्मान करें, यही असली संस्कृति है। एक थाली का खाना बचाने से शायद पूरी दुनिया न बदले, पर किसी भूखे के चेहरे पर मुस्कान जरूर आ सकती है।